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मंगलवार, 20 नवंबर 2012

रविवार, 29 जुलाई 2012

रात भर...


करके वादा कोई सो गया चैन से 
करवटें बदलते रहे हम रात भर !!१!!
हसरतें दिल में घुट-घुट के मरती रही 
और जनाज़े निकलते रहे रात भर !!२!!
रात भर चांदनी से लिपटे रहे वो 
हम अपने हाथ मलते रहे रात भर !!३!!
आबरू क्या बचाते वह गुलशन कि 
खुद कलियाँ मसलते रहे रात भर !!४!!
हमको पीने को एक कतरा भी न मिला 
और दौर पर दौर चलते रहे रात भर !!५!!
रौशनी हमें दे ना पाए यह चिराग अब 
यूँ तो कहने को वो जलते रहे रात भर !!६!!
छत में लेट टटोले हमने आसमान 
अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर !!७!!
.........नीलकमल वैष्णव "अनिश".........

शनिवार, 3 मार्च 2012

थिंक हट के...


कोई रूठे यहाँ तो कौन मनाने आता है 
रूठने वाला खुद ही मान जाता है, 
ऐ अनिश दुनियां भूल जाये कोई गम नहीं 
जब कोई अपना भूल जाये तो रोना आता है...
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास हो 
रौशनी में भी अँधेरे का अहसास हो, 
तब किसी कि याद में मुस्कुरा दो 
शायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो...
फर्क होता है खुदा और पीर में 
फर्क होता है किस्मत और तक़दीर में 
अगर कुछ चाहो और ना मिले तो 
समझ लेना कि कुछ और अच्छा है हाथो कि लकीर में.
नीलकमल वैष्णव"अनिश"
०९६३०३०३०१०, ०७५६६५४८८०० 

शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

बसंत ऋतू की शुभकामनाएं...


आइये कुछ झलकियां तो देख लीजिए मित्र मेरे ब्लाग में बसंत पंचमी की...
"आप सभी को हार्दिक दिल से शुभकामनाएं बसंत पंचमी की"

साभार: गूगल वेब को चित्रों के लिए.

सोमवार, 23 जनवरी 2012

मेरा दर्द....,


आप सभी मित्रों के लिए पेश है नए साल(2012) का मेरा पहला पोस्ट
जिसमें तो दो अलग-अलग लाइने हैं पर दोनों कविता का अर्थ और दर्द एक ही है,


(१)
मुझे उदास देख कर उसने कहा ;
मेरे होते हुए तुम्हें कोई 
दुःख नहीं दे सकता,


"फिर ऐसा ही हुआ"
ज़िन्दगी में जितने भी दुःख मिले, 
सब उसी ने दिए.....
(२)
वो अक्सर हमसे एक वादा करते हैं कि;
"आपको तो हम अपना बना कर 
ही छोड़ेंगे"
और फिर एक दिन उन्होंने अपना
वादा पूरा कर दिया,


"हमें अपना बनाकर छोड़ दिया..."


नीलकमल वैष्णव"अनिश"