जब तक बुलंद न होंगे हमारे इरादे,
तब तक झ्ठे और खोखले होंगे नेताओं के वादे.
जब तक मेहनतकश और गरीबों का का होगा तिरस्कार,
तब तक हमारा अधुरा सपना कैसे होगा साकार.
जिस देश के अधिकारी और नेता है बेईमान,
कैसे होगा उस देश के भविष्य का कल्याण.
जहाँ अन्धविश्वाश की पकड़ मजबूत,
वहां करेंगे हम भेदभाव और मानेंगे छुआछुत.
जब तक नारी का होगा व्यापर और अपमान,
तब तक कैसे कहेंगे हमारा देश है महान.