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सोमवार, 19 सितंबर 2011

" सच्चाई की बुनियाद "

जीवन की उन तमाम सच्चाई से लोग अंजान बन जातें है ,जो उन्हें कोसने के लिए मजबूर कर देता है 
उनकी तो नजर  बस आज की सच्चाई पर टिकी होती है ,जो अधिकांशतः भ्रम होती है|
कही न कही हर इन्सान में तो वो गुड होती है , जो उनके गलती से दूर हकीकत  की और ले जाती है 
इन्सान को सुख में किसी और के लिए समय नही होता ,लेकिन इश्वर की माया है जो दू:ख में इन्सान एक सच्चा इन्सान को तलाशता है ,जो उसकी मदद करे| हर तरफ से सच्चाई ही इन्सान को उसकी करनी का एहसास अच्छाई या बुराई से करता है  अच्छाई का एहसास तो सच्चा व्यक्ति के लिए मात्र है |
जिस परिस्थिति में इन्सान रहता है ,वाही उसका इम्तिहान होता है | परिदम तो अपने आप ही स्पष्ट हो जाता है 
बस... यही तो है " सच्चाई की बुनियाद "
                                                           'गिरिवर कुर्रे'

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